Day 6 – Matthew 6:33 (पहले राज्य को खोजो) | 30-Day Bible Study Plan

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Day 6 – Matthew 6:33 (पहले राज्य को खोजो)

"इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और उसके धर्म की खोज करो; तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें मिल जाएँगी।" — मत्ती 6:33

Day 6 of 30

Matthew 6:33 का अर्थ

यह वचन परमेश्वर की प्राथमिकताओं पर जोर देता है। जीवन में कई बार हम अपनी जरूरतों, इच्छाओं और परेशानियों में इतना उलझ जाते हैं कि परमेश्वर की इच्छा भूल जाते हैं। इस पद में यीशु हमें बताते हैं कि सबसे पहले हमें परमेश्वर का राज्य और उसका धर्म खोजना चाहिए। जब हम यह करते हैं, तो हमारे बाकी जीवन की आवश्यकताएँ अपने आप पूरी होती हैं।

"राज्य" का मतलब है परमेश्वर का शासन और उसकी इच्छा, जबकि "धर्म" का मतलब है उसका सत्य और धार्मिक जीवन अपनाना।

"इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और उसके धर्म की खोज करो; तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें मिल जाएँगी।" — मत्ती 6:33

आज के जीवन में Matthew 6:33 का प्रयोग

हमारे जीवन में कभी-कभी चिंता, भय और लालच हमें परमेश्वर से दूर कर देते हैं। यह वचन हमें याद दिलाता है कि यदि हम परमेश्वर की इच्छा को सर्वोपरि रखें, तो वह हमारी जरूरतों का पूरा ख्याल रखेगा।

उदाहरण के लिए, अगर आप नौकरी की तलाश में हैं, अपनी प्राथमिकता परमेश्वर के मार्गदर्शन पर रखें। उसके साथ विश्वास बनाए रखें, और अपने प्रयासों के साथ उसके नियमों का पालन करें। आप पाएँगे कि सब कुछ समय पर और सही तरीके से आपके पास आएगा।

ध्यान दें: परमेश्वर का राज्य खोजने का अर्थ है उसकी इच्छा को प्राथमिकता देना, न कि केवल धार्मिक कर्म करना।

प्रैक्टिकल एप्लिकेशन

  1. हर दिन अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना और परमेश्वर की इच्छा को समझकर करें।
  2. निर्णय लेने से पहले परमेश्वर से मार्गदर्शन माँगें।
  3. अपने जीवन के प्राथमिक कार्यों में उसकी उपस्थिति को सर्वोपरि बनाएं।
  4. जब कोई चुनौती आए, उसे परमेश्वर के मार्गदर्शन का अवसर समझें।
  5. अपने अनुभव दूसरों के साथ साझा करें और उन्हें भी प्रेरित करें।
व्यावहारिक सुझाव: एक छोटी डायरी बनाएं जहाँ आप लिखें कि कैसे परमेश्वर ने आपकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जब आपने उसे प्राथमिकता दी।

प्रार्थना

"हे प्रभु, मैं चाहता हूँ कि मेरी प्राथमिकता हमेशा आपका राज्य और धर्म हो। मेरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मुझे धैर्य और विश्वास दें। मुझे यह याद दिलाएं कि जब मैं आपके मार्ग पर चलता हूँ, तो आप मेरी हर आवश्यकता को पूरा करेंगे। आमीन।"

FAQs – Matthew 6:33

Q1: इसका मतलब क्या है कि हमें दुनिया की चीजों की चिंता नहीं करनी चाहिए?

इसका मतलब यह नहीं कि आप पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारियों से बचें। बल्कि यह है कि आपकी प्राथमिकता परमेश्वर की इच्छा और उसके राज्य में होना चाहिए। बाकी चीजें उसके मार्गदर्शन में स्वतः व्यवस्थित होंगी।

Q2: कैसे पता चले कि हम परमेश्वर के राज्य को खोज रहे हैं?

यदि आपके निर्णय, समय और प्रयास परमेश्वर की इच्छा और सत्य के अनुसार हैं, तो आप उसके राज्य को खोज रहे हैं।

Q3: क्या यह वचन केवल भौतिक जरूरतों के लिए है?

नहीं, यह वचन मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक सभी प्रकार की आवश्यकताओं पर लागू होता है। जब आप परमेश्वर को पहले रखते हैं, तो सब कुछ संतुलित तरीके से मिलता है।

निष्कर्ष

Day 6 का यह वचन हमें सिखाता है कि परमेश्वर को अपनी प्राथमिकता बनाना चाहिए। जब हम उसके राज्य और धर्म की खोज करते हैं, तो हमारी सभी आवश्यकताएँ समय पर पूरी होती हैं। यह हमें संतुलन, शांति और विश्वास देता है।

याद रखें: परमेश्वर आपकी हर आवश्यकता को जानता है और जब आप उसे प्राथमिकता देते हैं, तो वह आपकी हर चिंता का ध्यान रखेगा।