Day 20 – Psalm 37:4 (प्रभु में आनन्दित हो) | 30-Day Bible Study Plan

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Day 20 – Psalm 37:4 (प्रभु में आनन्दित हो)

20/30 Days
"प्रभु में आनन्दित हो, और वह तुम्हारे हृदय की इच्छाओं को पूरा करेगा।" – Psalm 37:4

यह वचन हमें सिखाता है कि जब हम प्रभु में आनन्दित होते हैं, तो वह हमारे हृदय की गहरी इच्छाओं को पूरा करता है।

इस वचन का महत्व

Psalm 37:4 हमें याद दिलाता है कि सच्चा आनंद और संतोष प्रभु में रहकर ही मिलता है। जब हम परमेश्वर में आनन्दित होते हैं, तो वह हमारे हृदय की इच्छाओं के अनुसार हमें मार्गदर्शन और आशीष देता है। यह वचन हमें हमारी प्राथमिकताओं को सही दिशा में रखने और प्रभु पर भरोसा करने की प्रेरणा देता है।

सरल भाषा में: जब आप परमेश्वर के साथ खुश रहते हैं और उसमें आनंद पाते हैं, तो वह आपकी दिल की गहरी इच्छाओं को पूरा करता है। यह ऐसा है जैसे एक पिता अपने बच्चे को वह सब कुछ देता है जो उसके लिए अच्छा है, जब बच्चा पिता के साथ अच्छे संबंध में रहता है।

यह वचन दाऊद द्वारा लिखे गए भजन 37 का हिस्सा है, जो हमें सिखाता है कि दुष्टों की समृद्धि से घबराने के बजाय हमें परमेश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और उसमें आनन्दित रहना चाहिए।

प्रभु में आनन्दित होने का अर्थ

  • परमेश्वर को प्राथमिकता: प्रभु में आनन्दित होने का अर्थ है कि हम परमेश्वर को अपने जीवन में सबसे महत्वपूर्ण स्थान देते हैं
  • परिस्थितियों से ऊपर: यह हमारी परिस्थितियों से ऊपर की खुशी है जो केवल परमेश्वर के साथ संबंध से आती है
  • संतोष: यह इस बात में संतोष और आनंद है कि परमेश्वर कौन है और वह हमारे लिए क्या कर चुका है
  • कृतज्ञता: यह परमेश्वर की भलाई और अनुग्रह के लिए कृतज्ञता की भावना से भरा हुआ है

आनंद का चित्र

जिस प्रकार एक बच्चा अपने पिता की उपस्थिति में पूरी तरह सुरक्षित और खुश रहता है, उसी प्रकार हम अपने स्वर्गीय पिता की उपस्थिति में सच्चा आनंद और सुरक्षा पा सकते हैं।

जीवन के लिए सीख

  • परमेश्वर में आनंद खोजो: सुख और शांति केवल उसके साथ जुड़ने से मिलता है, न कि संसार की चीज़ों में। दैनिक रूप से परमेश्वर के साथ समय बिताएं और उसकी उपस्थिति में आनंदित हों।
  • हृदय की इच्छाओं पर विश्वास: जब हम प्रभु में आनन्दित रहते हैं, तो वह हमारे जीवन के सही उद्देश्य और इच्छाओं को पूरा करता है। विश्वास रखें कि परमेश्वर आपके लिए सबसे अच्छा चाहता है।
  • विश्वास और धैर्य: संतोष और आनन्द पाने के लिए हमें विश्वास और धैर्य के साथ प्रभु पर भरोसा करना चाहिए। जानें कि परमेश्वर का समय सबसे अच्छा है।
  • इच्छाओं का परिवर्तन: जब हम परमेश्वर में आनन्दित होते हैं, तो हमारी इच्छाएं उसकी इच्छाओं के अनुरूप बदलने लगती हैं। हम वही चाहने लगते हैं जो परमेश्वर हमारे लिए चाहता है।
  • तुलना से बचें: दूसरों की सफलता या समृद्धि से तुलना करने के बजाय परमेश्वर में आनन्दित रहें। विश्वास रखें कि परमेश्वर ने आपके लिए अद्वितीय योजनाएं बनाई हैं।

आज इसे आजमाएं: आज कम से कम पांच बातों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें और उसमें आनन्दित हों, भले ही आपकी परिस्थितियाँ कैसी भी हों। देखें कि इससे आपका दृष्टिकोण कैसे बदलता है।

आज के लिए ध्यान (Meditation)

आज एक क्षण के लिए सोचिए – क्या मैं अपने जीवन में प्रभु में सच में आनन्दित हूँ या बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर हूँ? Psalm 37:4 हमें यह याद दिलाता है कि परमेश्वर में आनन्दित रहना हमें वास्तविक संतोष और जीवन की इच्छाओं की पूर्ति देता है।

ध्यान के लिए प्रश्न:

  • मैं अपने जीवन में किन बातों के लिए परमेश्वर में आनन्दित हो सकता हूँ?
  • क्या मेरी इच्छाएं परमेश्वर की इच्छाओं के अनुरूप हैं?
  • मैं अपने दैनिक जीवन में इस वचन को कैसे लागू कर सकता हूँ?

प्रार्थना

"हे प्रभु, मुझे तेरे साथ सच में आनन्दित होना सिखा। मेरे हृदय की इच्छाओं को तेरे अनुसार मार्गदर्शन दे और मुझे विश्वास दे कि तू मेरे जीवन में सबसे अच्छा करेगा।

जब मैं बाहरी परिस्थितियों से निराश होऊं, तो मुझे याद दिला कि तू मेरी खुशी का स्रोत है। मेरे हृदय को बदल दे ताकि मैं वही चाहूं जो तू चाहता है।

आमीन।"

आप अपने शब्दों में भी प्रार्थना कर सकते हैं। परमेश्वर आपकी ईमानदारी से की गई प्रार्थना सुनता है।

FAQs – Day 20 Bible Study

Psalm 37:4 हमें क्या सिखाता है?

यह वचन सिखाता है कि सच्चा आनन्द और संतोष केवल प्रभु में रहकर पाया जा सकता है और वह हमारे हृदय की इच्छाओं को पूरा करता है। जब हम परमेश्वर में आनन्दित होते हैं, तो हमारे हृदय की इच्छाएं परमेश्वर की इच्छाओं के अनुरूप ढलने लगती हैं, और वह उन्हें पूरा करता है। यह वचन हमें याद दिलाता है कि हमारी प्राथमिकता परमेश्वर के साथ संबंध होना चाहिए, न कि केवल उससे कुछ पाना।

कैसे प्रभु में आनन्दित रहा जाए?

प्रार्थना, बाइबल अध्ययन और उसके साथ समय बिताकर हम प्रभु में सच में आनन्दित रह सकते हैं। प्रभु में आनन्दित रहने के कुछ practical तरीके:

  1. नियमित रूप से परमेश्वर की स्तुति और धन्यवाद दें
  2. उसके वचन का अध्ययन करें और उस पर मनन करें
  3. प्रार्थना में उसके साथ समय बिताएं
  4. उसकी भलाई और विश्वासयोग्यता को याद करें
  5. अन्य विश्वासियों के साथ संगति में रहें

इस वचन को जीवन में कैसे लागू करें?

हमारे जीवन की प्राथमिकताओं को प्रभु केंद्रित बनाकर, उसे आनंद और संतोष का स्रोत मानें। आप इन तरीकों से इस वचन को जीवन में लागू कर सकते हैं:

  1. प्रतिदिन जागने पर परमेश्वर का धन्यवाद करें और उसमें आनन्दित हों
  2. परिस्थितियों के बजाय परमेश्वर के चरित्र पर ध्यान केंद्रित करें
  3. परमेश्वर पर भरोसा रखें कि वह आपकी इच्छाओं को जानता है और उन्हें पूरा करेगा
  4. अपनी इच्छाओं को परमेश्वर की इच्छा के अधीन करें
  5. दूसरों को भी परमेश्वर में आनन्दित होने के लिए प्रोत्साहित करें

क्या इसका मतलब है कि परमेश्वर हमारी हर इच्छा पूरी करेगा?

नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि परमेश्वर हमारी हर इच्छा पूरी करेगा। बल्कि, जब हम परमेश्वर में आनन्दित होते हैं, तो हमारी इच्छाएं बदल जाती हैं और परमेश्वर की इच्छाओं के अनुरूप हो जाती हैं। परमेश्वर उन इच्छाओं को पूरा करता है जो हमारे लिए उसकी अच्छी, सिद्ध और आनन्ददायक इच्छा के अनुसार हैं (रोमियों 12:2)। वह हमें वही देता है जो हमारे लिए सबसे अच्छा है, न कि वह जो हमें लगता है कि हमारे लिए अच्छा है।

Final Thoughts

Psalm 37:4 हमें याद दिलाता है कि सच्चा आनंद और संतुष्टि केवल परमेश्वर में पाई जा सकती है। जब हम उसमें आनन्दित होते हैं, तो वह हमारे हृदय की गहरी इच्छाओं को पूरा करता है। यह वचन हमें प्रोत्साहित करता है कि हम अपना ध्यान परिस्थितियों से हटाकर परमेश्वर की ओर लगाएं और उसमें आनन्दित रहें।

आज का अध्ययन पूरा हुआ! भगवान में आनन्दित रहें!